शोध की विशेषताएं

 नयापन- शोध में नयापन होना बहुत जरूरी है। नएपन से तात्‍पर्य आविष्‍कार नहीं है। हर अनुशासन में नएपन के अर्थ में गुणात्‍मक फर्क होता है। शोध के क्षेत्र में नए तथ्‍यों की खोज या ज्ञात तथ्‍यों की नई व्‍याख्‍या के रूप में नयापन आता है। जहां तथ्‍य महत्त्वपूर्ण नहीं होते, वहां विचार और विश्‍लेषण में नयापन भी शोध के दायरे में आता है। 


व्‍यवस्थित अध्‍ययन- सामान्‍य पाठन व्‍यवस्थित रूप लेने पर ही शोध कहा जा सकता है। यानी जब एक निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए व्‍यक्ति सामग्री संकलित कर उसका अध्‍ययन और विश्‍लेषण करता है तो वह शोध कहा जा सकता है। 'एक विशिष्‍ट विषय पर प्रासंगिक जानकारी के लिए एक वैज्ञानिक और व्‍यवस्थित खोज ही शोध है'। (कोठारी, 1985)


वैज्ञानिकता- पूर्व धारणाओं या पूर्वाग्रहों के आधार पर शोध नहीं किया जा सकता। शोध के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाना बहुत जरूरी है। दुनिया की हर परिघटना का एक कार्य-कारण संबंध होता है। यह संबंध तर्क के माध्‍यम से समझ में आता है। तर्कपूर्ण दृष्टि रखते हुए चीजों के कार्य-कारण संबंध में यकीन करना और उसे समझने की कोशिश करना ही वैज्ञानिकता है। वैज्ञानिकता में बिना लाग लपेट के चीजों का सीधा विश्‍लेषण होता है। 


तार्किकता- शोध में आस्‍था और पूर्वाग्रहों के लिए कोई स्‍थान नहीं होता। शोध तर्कों और तथ्‍यों के आधार पर किया जाता है। यह अपेक्षित है कि तर्कों का प्रयोग सत्‍य को प्रमाणित करने की दिशा में किया जाना चाहिए, न कि कोई पूर्व धारणा को स्‍थापित करने के लिए।


उद्देश्‍यपूर्णता- हर शोध का एक उद्देश्‍य होता है। बिना उद्देश्‍य शोध संभव नहीं है। उद्देश्‍यहीनता या उद्देश्‍य की अस्‍पष्‍टता से शोध भटक सकता है। शोध का सामान्‍य उद्देश्‍य ज्ञानक्षेत्र का विकास है। जीवन या ज्ञान की किसी समस्‍या का समाधान 


इस प्रकार हम देखते हैं कि शोध ज्ञान के विस्‍तार के लिए किया जाने वाले एक व्यवस्थित अध्ययन का नाम है जिसे वैज्ञानिक पद्धति से संपन्न किया जाता है।

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