किसी भी विषय पर बात करने, उसके विविध आयामों को समझने से पहले स्वयं उसकी अवधारणा को समझना जरूरी होता है। मसलन, हम भूमंडलीकरण के भारतीय समाज पर पड़े प्रभावों को जानना चाहते हैं तो पहले हमें भूमंडलीकरण की अवधारणा को जानना होगा। इसी प्रकार शोध और इसके विविध आयामों को समझने से पहले हमें स्वयं शोध की अवधारणा को समझना होगा। शोध प्रविधि पढने और शोध की प्रक्रिया में प्रवेश के वक्त उठने वाला पहला सवाल यही है- शोध क्या है?
हिंदी में शोध अंग्रेजी शब्द 'रिसर्च' के अनुवाद के रूप में प्रयोग किया जाता है। शोध के लिए खोज, अनुसंधान, अन्वेषण, गवेषणा आदि शब्द भी प्रयुक्त किये जाते हैं। शोध क्या है, जानने से पहले यह जान लेना चाहिए कि शोध क्या नहीं है!
शोध क्या नहीं है!
घंटों इंटरनेट पर बैठे रहना- कई विद्यार्थी रोज घंटों इंटरनेट पर बैठे रहते हैं। जब उनसे पूछा जाता है कि क्या कर रहे हैं तो जवाब आता है, हम रिसर्च कर रहे हैं, या रिसर्च के लिए काम कर रहे हैं। इनमें से ज्यादातर लोग रिसर्च नहीं कर रहे होते। इंटरनेट पर अव्यवस्थित ढंग से न्यूज, सोशल साइट्स, गीत-संगीत, गेम आदि से संबंधित सामग्री एक्सेस करना शोध नहीं है। लगभग हर पढा-लिखा खाली व्यक्ति ऐसा करता है। चूंकि इसमें एक योजना, व्यवस्थित अध्ययन, तुलना, विश्लेषण और नोटिंग नहीं होती, इसलिए इसे शोध नहीं कहा जा सकता।
किताबें जमा करना- कई विद्यार्थी महीनों तक किताबें जमा करते रहते हैं। आपने देखा होगा कि किसी थीम विशेष पर आपकी लाइब्रेरी में कोई भी किताब उपलब्ध नहीं है। जब आप काउंटर पर पूछते हैं कि सारी किताबें कहां गईं तो पता चलता है कि इनमें से अधिकांश एक ही व्यक्ति ने इश्यू करवाई हुई हैं। लाइब्रेरी में ऐसे विद्यार्थी भी मिल जाएंगे जो एक ही विषय पर एक साथ बीस-पच्चीस किताबों की फोटो कॉपी करा लेते हैं। आजकल लोग अमेजॉन, फ्लिपकार्ट आदि से एक थीम पर ढेरों किताब खरीद लेते हैं। अपने शोध क्षेत्र पर किताबें एकत्रित करना तब तक शोध नहीं कहा जा सकता जब तक जब तक इसमें एक व्यवस्था और समीक्षा की प्रवृत्ति न हो।
पत्र-पत्रिकाएँ व किताबें पढ़ना- पत्र-पत्रिकाऍं और किताबें पढ़ना मात्र भी शोध नहीं है। यूरोप में मेट्रो आदि सार्वजनिक स्थानों पर बहुत सारे लोग किताबें पढ़ते हुए मिल जाएंगे। लोग अपने घरों में भी पढते हैं। भारत में ज्यादातर लोग नौकरी के लिए पढ़ते हैं और कुछ लोग नौकरी के बाद भी पढ़ते हैं। यह सब कुछ शोध नहीं है। शोध के लिए पढ़ना सामान्य पढ़ने से अलग है।
पहले से ज्ञात सूचनाओं को पुन: प्रस्तुत करना- किसी डिग्री विशेष के लिए खानापूर्ति करते हुए पहले से ज्ञात सूचनाओं को पुन: प्रस्तुत कर देना भी शोध नहीं है। भारत में ऐसी थीसिसें आसानी से मिल जाएंगी जिनमें पहले से ज्ञात सूचनाओं का दोहराव मात्र होता है। शोधार्थी कई किताबों में उपलब्ध सामग्री को जोड़-तोड़कर एक जगह प्रस्तुत कर देते हैं और शोध का दावा किया जाता है।
नकल करना- जाहिर है, पहले से उपलब्ध शोध सामग्री की नकल कर लिखना भी शोध नहीं है। संदर्भ के निर्धारित नियमों का उल्लंघन करते हुए दूसरों द्वारा प्रस्तुत सामग्री को अपने नाम से लिखना और प्रकाशित करना शोध तो नहीं ही है, गैर-कानूनी भी है।
पूर्वाग्रहपूर्ण लेखन- अपने पूर्वाग्रहों को वैधता प्रदान करने के लिए लिखना भी शोध नहीं है। अक्सर हम देखते हैं कि व्यक्ति के परिवार और परिवेश से उसके अंदर बहुत सारे पूर्वाग्रह विकसित हो जाते हैं। इन पूर्वाग्रहों को वैधता प्रदान करने के लिए कई लोग संदर्भों से काटकर तथ्यों और विचारों का उपयोग करते हैं। जाहिर है ऐसे तथ्यों और विश्लेषण को शोध नहीं कहा जा सकता।
कल्पनाधारित लेखन- जैसे पूर्वाग्रहपूर्ण लेखन शोध नहीं है वैसे ही कल्पना पर आधारित लेखन भी शोध नहीं है। कहानी, कविता, उपन्यास आदि लिखने के लिए कल्पना का उपयोग किया जा सकता है, किया भी जाता है लेकिन कल्पना के आधार पर शोध नहीं किया जा सकता।
शोध क्या है?
शोध ज्ञान की खोज और उसके विस्तार की प्रक्रिया का नाम है। नए ज्ञान की प्राप्ति के लिए व्यवस्थित प्रयत्न शोध है। नए तथ्यों की खोज या ज्ञात तथ्यों की नई व्याख्या शोध है। ज्ञात तथ्यों को परखने का काम शोध की मदद से किया जाता है। शोध की एक व्यवस्थित प्रक्रिया होती है। उसके बिना शोध संभव नहीं है। शोध की शर्त उसमें वैज्ञानिकता का होना है। आस्था या विश्वास के आधार पर शोध संभव नहीं है। मानविकी विषयों के शोधों में भी वैज्ञानिक व तार्किक विश्लेषण अपेक्षित है।
ओक्सफोर्ड की एडवांस्ड लर्नर डिक्शनरी के अनुसार रिसर्च या शोध 'ज्ञान की किसी भी शाखा में नए तथ्यों की खोज के माध्यम से सावधानीपूर्वक की गई जांच या पड़ताल है'।
शोध के बारे में कुछ प्रमुख विद्वानों की परिभाषाएं इस प्रकार हैं-
शोध में 'रचनात्मक कार्य को व्यवस्थित तरीके से किया जाता है, ताकि ज्ञान के भंडार को बढ़ाया जा सके, जिसमें मनुष्य, संस्कृति और समाज का ज्ञान शामिल है, और नए अनुप्रयोगों को विकसित करने के लिए ज्ञान के इस भंडार का उपयोग किया जाता है।'
'शब्द के व्यापक अर्थों में, शोध की परिभाषा में ज्ञान की उन्नति के लिए डेटा, सूचना और तथ्यों का जमावड़ा शामिल है।'
शोध की अवधारणा संबंधी हिंदी और अंग्रेजी किताबों में रेडमेन और मोरी (1923) की यह परिभाषा बहुत मशहूर है, 'नए ज्ञान की प्राप्ति के लिए किये गए व्यवस्थित प्रयत्न ही शोध हैं'।
पी.वी.यंग (सन् 1966) के अनुसार नवीन तथ्यों की खोज, प्राचीन तथ्यों की पुष्टि, तथ्यों की क्रमबद्धता, पारस्परिक सम्बन्धों तथा कारणात्मक व्याख्याओं के अध्ययन की व्यवस्थित विधि को शोध कहते हैं।
एडवर्ड (1969) के अनुसार किसी प्रश्न, समस्या, प्रस्तावित उत्तर की जाँच हेतु उत्तर खोजने की क्रिया शोध कहलाती है।
‘शोध किसी विषय या मुद्दे पर हमारी समझ बढ़ाने के लिए सूचनाएं एकत्रित करने और उनका विश्लेषण करने के लिए उपयोग किए जाने वाले चरणों की एक प्रक्रिया है।' क्रेसवेल ने इसके तीन चरण बताए हैं: सवाल पैदा करना, सवाल का जवाब देने के लिए डेटा इकट्ठा करना और सवाल का जवाब प्रस्तुत करना।