समझदारी और साझाकरण
14 से 16 दिसंबर 2019
अरकू घाटी, विशाखापतनम (आंध्र प्रदेश)
वंदना टेटे, सुरेश जगन्नाथम, रंजीत उरांव, दीपक बाड़ा और एके पंकज के साथ तीन दिवसीय आवासीय कार्यशाला.
इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी दर्शन और सौंदर्यबोध यानी आदिवासियत को जानने, समझने और समुदाय के साथ, विशेषकर युवाओं और नई पीढ़ी के साथ साझा करना है। इस कार्यक्रम की परिकल्पना एक पांच दिवसीय आवासीय शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यशाला के रूप में की गई है। जिसमें प्रतिभागी और प्रशिक्षक दोनों ही समुदाय और प्रकृति के सान्निध्य में एक-दूसरे से अपने ज्ञान और अनुभवों को साझा करेंगे। इस कार्यक्रम के मुख्य पहलु हैं - आदिवासी जीवन क्या है और यह खुद के साथ-साथ सृष्टि के तमाम तत्वों को किस रूप में देखता है, उनके साथ किस तरह से व्यवहार करता है, आपसी संबंधों और सहअस्तित्व को किस तरह से व्याख्यायित करता है।
कार्यशाला विवरण
कार्यक्रम
कार्यशाला हेतु विशाखापतनम रिपोर्टिंग :
13 दिसंबर 2019 को किसी भी समय
स्वागत सम्मिलन :
संध्या 8 बजे, 13 दिसंबर 2019
पहला दिन : 14 दिसंबर 2019
विशाखापतनम से अरकू घाटी के लिए प्रस्थान : सुबह 7 बजे
पहले दिन के विषय :
1. आदिवासी इतिहास और संघर्ष
(वाचिक/लिखित इतिहास के संदर्भ में)
2. आदिवासी जीवनशैली
(भाषा और संस्कृति के संदर्भ में)
रात्रि ठहराव: अरकू घाटी
दूसरा दिन : 15 दिसंबर 2019
दूसरे दिन के विषय :
1. आदिवासियत की अभिव्यक्तियां
(कला और साहित्य के संदर्भ में)
2. आदिवासियत क्या है
(आदिवासी विश्वदर्शन के संबंध में)
रात्रि ठहराव: अरकू घाटी
तीसरा दिन : 16 दिसंबर 2019
तीसरे दिन के विषय :
1. आदिवासियत और भारतीय राजनीति
(संवैधानिक लोकतंत्र के संदर्भ में)
2. आदिवासियत का भविष्य
(नई दुनिया की चुनौतियों के संबंध में)
रात्रि ठहराव: अरकू घाटी
17 दिसंबर 2019 : अरकू घाटी से विशाखापतनम के लिए प्रस्थान सुबह 9 बजे
विदाई सम्मिलन : विशाखापतनम में दोपहर 2 बजे
आवेदन की प्रक्रिया
अरकू घाटी, विशाखापतनम (आंध्र प्रदेश) कार्यशाला की परिकल्पना सिर्फ 15 आदिवासी प्रतिभागियों को ध्यान में रख कर की गई है। प्रतिभागियों का चुनाव उनके आवेदनों के आधार पर किया जाएगा। कार्यशाला में शामिल होने के लिए कोई भी आवेदन कर सकता है। आवेदन 25 नवंबर 2019 की शाम 6 बजे तक ऑनलाइन स्वीकार किए जाएंगे। इस निर्धारित समय सीमा के बाद प्राप्त होने वाले आवेदनों पर विचार नहीं किया जाएगा। आवेदन शुल्क मात्र 100 रुपया है जो अप्रतिदेय है।
योग्यता :
1. आवेदक को 18 से 40 वर्ष की उम्र के बीच होना चाहिए।
2. आवेदक को भारतीय आदिवासी होना चाहिए। विदेशी और गैर-भारतीय आदिवासी आवेदन नहीं कर सकते हैं।
आवेदन की प्रक्रिया :
चरण-1: ऑनलाइन आवेदन और बायोडाटा जमा करें
चरण-2: पूछे गए सवालों का जवाब 30 नवंबर 2019 तक दें
चरण-3: चयनित प्रतिभागियों की घोषणा 1 दिसंबर 2019 को
चरण-4: 4 दिसंबर 2019 तक कार्यशाला शुल्क जमा करें
कृपया ध्यान रखें :
- प्रतिभागी शुल्क 4000 रुपये है जिसमें कार्यशाला के दौरान आवास, भोजन और यात्रा की लागत शामिल है।
- विशाखापतनम पहुंचने की व्यवस्था चयनित प्रतिभागियों को स्वयं करनी है।
- चयनित प्रतिभागियों को कार्यशाला की तिथियों को ध्यान में रखते हुए अरकू घाटी, विशाखापतनम (आंध्र प्रदेश) आने-जाने का पूरा विवरण तुरंत उपलब्ध करा देना अनिवार्य होगा।
रद्द करने की नीति :
अंतिम पल में रद्दीकरण करने पर जमा राशि में से 25% जब्त कर ली जाएगी।
कार्यशाला से संबंधित किसी भी जानकारी के लिए संपर्क: foradivasiyat@gmail.com
सीखने के उपकरण
हमने इस कार्यशाला की परिकल्पना कुछ इस तरह से की है जिससे कि प्रतिभागी बहुस्तरीय ढंग से सीखने और साझा करने का आनंद ले सकें। जैसा कि वास्तव में आदिवासी परंपरा रही है। आदिवासी ज्ञान परंपरा में प्रकृति, स्थानीय भूगोल और समुदाय का सर्वोच्च महत्त्व है। इन सभी तत्त्वों को कार्यशाला के केंद्र में रखा गया है और इसके साथ ही राजस्थान के आदिवासी धर्म, इतिहास व अन्य महत्त्वपूर्ण स्थलों के भ्रमण को कार्यशाला के पाठ्यक्रम में प्रमुखता दी गई है।
1. प्रकृति
2. भूगोल और संस्कृति
3. समुदाय
4. वाचिक परंपरा
5. इतिहास
6. भाषाई-सांस्कृतिक तत्त्व
7. अनुभवी अगुआ
8. यात्राएं
9. आधुनिक स्रोत
(किताबें, संग्रहालय, इंटरनेट और मल्टीमीडिया के दूसरे माध्यम)
10. सहभागिता और अंतःक्रिया
कार्यशाला स्थल :
अरकू घाटी, विशाखापतनम (आंध्र प्रदेश) अरकू घाटी आंध्र प्रदेश राज्य के विशाखापतनम जिले में पूर्वी घाट पर स्थित है और अनेक आदिवासी समुदायों का निवास स्थान है। यह विशाखापतनम से 114 किलोमीटर की दूरी पर है और उड़ीसा राज्य की सीमा के करीब है। अनंतगिरि और सुंकारीमेट्टा आरक्षित वनक्षेत्र अरकू घाटी के अभिन्न अंग हैं। यह घाटी गालिकोंड, रक्तकोंडा, सुंकारीमेट्टा तथा चितमोगोंडी जैसे पहाड़ों से चारो तरफ से घिरी हुई है। अरकू घाटी में स्थित बोर्रा गुफा दुनिया की प्राचीनतम गुफाओं में से एक है जो प्रकृति की कारीगरी का सुंदर नमूना है। यहां के आदिवासी कॉफी उगाने वाले मजदूर अथवा छोटे किसान हैं। विशाखापतनम शहर से इस घाटी का संपर्क सड़क व रेल दोनों माध्यमों से है। पूर्व तट रेलवे के विशाखापतनम संभाग के कोत्तावलसा-किरुंडुल मार्ग में अरकू और अरकू घाटी नामक दो रेलवे स्टेशन हैं।